रक्षाबन्धन Raksha Bandhan 2024 | शुभमुर्हूत | भद्राकाल | राखी पूर्णिमा 2024 की पूजा विधि  | कहानी |

रक्षाबन्धन Raksha Bandhan 2024 | शुभमुर्हूत | भद्राकाल | राखी पूर्णिमा 2024 की पूजा विधि | कहानी 

नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Raksha Bandhan 2024 में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तो, रक्षाबंधन का त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं; इसलिए इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह सभी बहिन-भाईयों के अटूट प्रेम को दर्शाने वाला पर्व है।

इस दिन बहनें भाइयों की समृद्धि के लिए उनकी कलाई पर रंग-बिरंगी राखियाँ बांधती हैं, वहीं भाई बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को राखरी भी कहते हैं। यह सबसे बड़े हिन्दू त्योहारों में से एक है।

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 रक्षाबन्धन का पर्व इतना प्राचीन है कि इतिहास के पन्नों में भी इस त्योहार का वर्णन देखा जाता है। मुगल काल के समय में भी कई रानियों द्वारा मुगल शासकों को राखी बांधने के भी प्रमाण मिलते हैं। यही कारण है कि इस पर्व को न केवल हिन्दु धर्म अपितु सभी धर्मों में मान्यता प्रदान की गई। 

Raksha Bandhan 2024 : रक्षाबंधन का महत्व

Raksha Bandhan

रक्षा बंधन का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्न काल में पड़ती है। साथ ही साथ आगे दिए इन नियमों को भी ध्यान में रखना जरूरी है:

  1. पूर्णिमा के समय यदि अपराह काल में भादो चढ गया है तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो त्यौहार के पूरे विधि-विधान अगले दिन के अपराह्न काल में करने चाहिए।

2.अगर पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भादो चढने के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं। हालांकि पंजाब आदि जैसे कुछ इलाकों में अपराह काल को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, इसलिए वहाँ आम तौर पर मध्याह्न काल से पहले राखी का त्यौहार मनाने का चलन है। लेकिन शास्त्रों के मुताबिक भद्रा होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह मनाही है, किसी भी स्थिति में।

Raksha Bandhan 2024 muhurat: यह रहेगा शुभमुर्हूत

इस बार 19 अगस्त दिन सोमवार को रक्षाबन्धन का त्योहार मनाया जायेगा। आईये, जानते हैं शुभ मुहूर्त –

रक्षा बन्धन अनुष्ठान का समय  दोपहर 01:30  से शाम 09:02 तक रहेगा।

यानी कुल अवधि  07 घण्टे 32 मिनट की होगी।

इसके अतिरिक्त रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त  रहेगा दोपहर 01:37 से लेकर शाम के 04:13 बजे तक। इस तरह सुविधानुसार यह त्योहार मनाया जा सकता है जिसकी कुल अवधि 02 घण्टे 37 मिनट होगी।

रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त – 06:50 पी एम से 09:02 पी एम तक होगा जिसकी कुल अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट की होगी।

अन्य मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे —

रक्षा बन्धन भद्रा समाप्ति – दोपहर 01:30 

रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ – सुबह 09:51 से सुबह10:53 तक

रक्षा बन्धन भद्रा मुख – सुबह10:53 से दोपहर12:37 तक

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 19 अगस्त , 2024 को सुबह 03:04 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 19 अगस्त , 2024 को शाम11:55 बजे

Raksha Bandhan

Raksha Bandhan 2024 : राखी पूर्णिमा 2024 की पूजा विधि 

रक्षा बंधन के दिन बहने अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र यानी कि राखी बांधती हैं। साथ ही वे भाईयों की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी आदि की मनोकामना भी करती हैं। राखी को कलाई पर बांधते हुए एक मंत्र पढ़ा जाता है, जिसे पढ़कर पंडित भी यजमानों को रक्षा-सूत्र बांध सकते हैं, वह मंत्र है

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

इस मंत्र के पीछे भी एक महत्वपूर्ण कहानी है, जिसे अक्सर रक्षाबंधन की पूजा के समय पढ़ा जाता है। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से ऐसी कथा को सुनने की इच्छा जाहिर की, जिससे सभी कष्टों एवं दिक्कतों से मुक्ति मिल सकती हो। इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने उन्हें यह कहानी सुनायी:—
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पौराणिक काल में सुरों और असुरों के बीच लगातार 12 वर्षों तक युद्ध हुआ। ऐसा मालूम हो रहा था कि युद्ध में असुरों की विजय निश्चित है। दानवों के राजा ने तीनों लोकों पर कब्ज़ा कर स्वयं को त्रिलोक का राजा घोषित कर लिया था। दैत्यों के सताए देवराज इन्द्र गुरु तब बृहस्पति की शरण में पहुँचे और रक्षा के लिए प्रार्थना की। फिर श्रावण पूर्णिमा को प्रातःकाल रक्षा-विधान पूर्ण किया गया।

इस विधान में गरु बहस्पति ने ऊपर उल्लिखित मंत्र का पाठ किया। साथ ही इन्द्र और उनकी पत्नी इंद्राणी ने भी पीछे-पीछे इस मंत्र को दोहराया। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी ब्राह्मणों से रक्षा-सूत्र में शक्ति का संचार कराया और इन्द्र के दाहिने हाथ की कलाई पर उसे बांध दिया। इस सूत्र से प्राप्त शक्तियों से इन्द्र ने असुरों को परास्त किया और अपना खोया हुआ राज पुनः प्राप्त किया।

Raksha Bandhan ki katha in hindi : रक्षा बन्धन की कथा

Raksha Bandhan 2024

Raksha Bandhan

यह कथा महाभारत के समय की है। एक समय की बात है भगवान श्रीकृष्ण की चाची श्रुत देवी के यहां एक बालक का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया शिशुपाल। वह बालक अत्यंत विकृत स्वरूप का था किसी कारण वश उसे यह शाप लगा था कि जिस किसी के हाथों के स्पर्श से यह ठीक होगा उसी के हाथों ही उसकी मृत्यु होगी।

उसी समय वहां भगवान श्रीकृष्ण का आगमन हुआ उन्होंने जैसे ही शिशुपाल को स्पर्श किया वह तेजस्वी हो गया तथा उसका शरीर अति सुंदर हो गया। यह देखकर शिशुपाल की मां अत्यन्त प्रसन्न हुई किन्तु दूसरे ही क्षण वह उदास हो गयी। उदासी देखकर केशव ने इसका कारण पूछा तो  श्रुत देवी ने उस बालक के शाप की सारी कहानी उन्हें बता दी।

सारी बातें सुनकर भगवान को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने कुछ क्षण मौन रहने के बाद ऐसा कहा -‘‘ चाचीश्री  ऋषियों का शाप सत्य होकर ही रहता है। स्वयं विधाता को भी उनके शाप का पालन करना पड़ता है किन्तु आप दुःखी न होओ। मैं ये वचन देता हूं कि मैं शिशुपाल की सौ गल्तियों को क्षमा कर दूंगा किन्तु यदि उसके बाद इसके द्वारा कोई पाप हुआ तब मैं इसका वध कर दूंगा।

यह सुनकर श्रुत देवी कुछ संतुष्ट हुई। समय बीतता गया और शिशुपाल एक क्रूर शासक बन गया वह अपनी ही प्रजा को सताते हुये अनर्गल क्रिया-कलापों में संलिप्त रहने लगा। जब अपने सौ पाप पूर्ण करने के पश्चात भी वह पाप की ओर उन्मुख रहा तब भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। सुदर्शन चक्र को तीव्र गति से छोड़ने के कारण उनकी उंगली से खून बहने लगा।

इस घटना के समय पर द्रौपदी वहां पर उपस्थित थी उसने बिना एक क्षण गंवाये अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर तुरंत ही श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। उस दिन से केशव ने उन्हें अपनी बहन माना तथा भविष्य में उनकी रक्षा का वचन भी प्रदान किया। जिस समय द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था उस समय अपना वचन निभाते हुए भगवान ने अपने वचन को पूर्ण किया तथा द्रौपदी की रक्षा की।

स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र का प्रसंग

रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं कहा जाता है कि इनमे सबसे पुरानी कथा भगवान इंद्र की है। देवराज इंद्र राक्षसों से कई दिन तक भयंकर युद्ध लड़ने के बाद युद्ध में हार गए थे। तब देवराज को निराश और हताश  देखते हुये उनकी पत्नी शची अर्थात इंद्राणी ने मंत्र पढ़कर इंद्र के दाहिने हाथ में एक धागा बांधा और युद्ध में विजयी होने की कामना की। इसके बाद जब इंद्र राक्षसों से युद्ध करने गये तब उनकी विजय हुई धार्मिक ग्रंथों के अनुसार उसी घटना से रक्षाबंधन मनाने की शुरुआत हुई थी। Raksha Bandhan 2024

जब हुमांयू ने रानी कर्णावती की राखी की रखी लाज

मुगल काल में हुमायूं ने भी रानी कर्णावती को अपनी बहन मानकर उनकी जान बचाई थी। यह उस समय की बात है जब राजपूत तथा मस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा राणा संग्राम सिंह  की विधवा थीं। रानी कर्णावती को जब बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की सूचना मिली तो वह घबरा गईं क्योंकि वह अकेले बहादुरशाह से युद्ध कर पाने में सक्षम नहीं थीं।

तब उन्होंने मेवाड़ की प्रजा की सुरक्षा के लिए हुमायूं को राखी भेजी तथा हुमांयू ने मेवाड़ पहुंचकर न केवल बहादुरशाह के विरूद्ध युद्ध लड़ा बल्कि मेवाड़, वहां की प्रजा तथा अपनी बहन रानी दुर्गावती की रक्षा भी की। इतिहासकारों के अनुसार हुमायूं उस समय बंगाल पर चढ़ाई करने जा रहा था किन्तु अपना अभियान बीच में ही छोड़कर उसने अपने भाई होने का दायित्व निभाया था।

Sweets for Raksha Bandhan 2024: रक्षाबन्धन पर  बनायें ये पकवान

भारत देश में त्योहारों के साथ-साथ इन त्योहारों पर बनने वाले पकवानों का भी विशेष महत्व है, पर्व चाहे किसी भी धर्म अथवा संप्रदाय का हो किन्तु बिना सुस्वाद व्यंजनों के बिना वह अपूर्ण ही माना जाता है। आज भी कई स्थानों पर त्यौहारों को परम्परागत तरीके से मनाया जाता है वहां घर पर ही महिलायें व्यंजन तथा विभिन्न प्रकार की मिठाईयां जैसे:- जवे, मखाने की खीर आदि तैयार करती हैं।

इसके अलावा भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजन मिठाई की दुकानों से मंगवाये जा सकते हैं या घर पर भी तैयार किये जा सकते हैं। चूंकि हमारा देश विभिन्न राज्यों का एक मिश्रण है यही कारण है कि प्रत्येक राज्य के अपने-अपने व्यंजन हैं जैसे उत्तर प्रदेश की गुझिया हो, महाराष्ट्र की पूरन पोली हो, गुजरात की खाण्डवी व ढोकला या फिर बंगाल की मिष्टी दोही। त्योहारों के आगमन पर महीनों पूर्व से ही इनकी तैयारी प्रारम्भ हो जाती है।

Meethe Jave Recipe in hindi : दूध के जवे कैसे बनायें

रक्षा बंधन के दिन बनने वाली मिठाईयों में दूध के जवे भी लोकप्रिय हैं यह अन्य मिठाई की अपेक्षा भिन्न तो हैं ही साथ ही सेहत के लिए भी अच्छे माने जाते हैं यह आसानी से तैयार भी हो जाते हैं।

Ingredients for meethe jave: सामग्री:-

दूध के जवे बनाने के लिए हमें चाहिये आधा लीटर दूध, मैदा के जवे जिन्हें घर पर भी तोड़ा जा सकता है अथवा बाजार में पैकेट भी उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा चीनी तथा मेवा जिसमें चिरौजी, किशमिश, काजू, बादाम आदि।

Meethe jave recipe in hindi: बनाने की विधि:-

सबसे पहले एक कड़ाही लेकर उसमें जवे अच्छी तरह से भून लें जब वह अच्छी तरह से भुन जायें अथवा लाल हो जाये तो उन्हें गैस से नीचे उतार लें। एक बर्तन लें जिसमें दूध को गर्म कर लें। गर्म होने के बाद उस दूध में भुने हुए जवे मिलाकर छोड़ दें तथा साथ ही इसमें सारी मेवा भी काटकर डाल दें। गैस की आंच को मध्यम ही रखें बीच-बीच में उसे एक बड़े चमचे से हिलाते रहें।

कम-से-कम आधा घण्टा पकने के बाद जब जवे अच्छी तरह से गल जायें तब गैस बंद कर दें। उन्हें सावधानीपूर्वक कटोरियों में कर लें तथा ऊपर से सजावट के लिए केसर के कुछ धागे डाल दें, तथा गर्मागर्म परोसें। Raksha Bandhan 2024

Moong dal pakoda recipe in hindi: मूंग दाल पकौड़ी

चूंकि रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह में आता है तथा यह महिना वर्षा ऋतु का  होता है तथा इस पर्व पर परिवारजन इकट्ठे होते हैं तो मूंग दाल की पकौड़ी भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

Moong dal pakoda ingredients: सामग्री:-

मूंग की दाल,

आलू,

हरा धनिया,

हरी मिर्च,

नमक,

सरसों का तेल तथा हींग ।

Moong dal pakoda recipe in hindi: बनाने की विधि:-

सबसे पहले मूंग की दाल को लगभग आधा घण्टा पानी में भिगोकर रख लें। जब आधा घण्टा बीत जाये तो दाल को थोड़ा-सा पानी मिलाकर मिक्सी में पीस लें तथा इसका घोल बना लें। आलू को अपने हिसाब से काट लें। अब पिसी हुई दाल में कटे हुए आलू के टुकड़े डालकर मिला लें तथा धीरे-धीरे पानी को मिलायें। यह ध्यान रहे कि घोल ज्यादा पतला न हो जाये।

अब इस घोल में हींग, पिसा हुआ धनिया, बारिक कटी हुई मिर्च, हरा धनिया तथा स्वादानुसार नमक मिला लें। एक कड़ाही में तेल गर्म करें जब तेल गर्म हो जाये तब इस घोल को सावधानीपूर्वक तेल में छोड़ें। एक चमचे से चलाते रहें बीच-बीच में पकौड़ियों को पलटते रहें जब वे अच्छे से सिक जायें तो उन्हें एक प्लेट में निकाल लें तथा टोमैटो सॉस  अथवा हरे धनिये की चटनी के साथ सर्व करें।

॥इति॥

jagurukta.com टीम की तरफ से भाई एवं बहनों  के इस  पवित्र रक्षाबंधन Raksha Bandhan 2024 त्यौहार की आप सभी पाठकों को बहुत-बहुत शुभकामनायें ॥