Nine Forms of Durga : देवी दुर्गा के नौ स्वरूप | आराधना का मन्त्र | आपको किस रंग के वस्त्र पहनने चाहिये ?
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नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लॉग पोस्ट Nine Forms of Durga में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, जगज्जननी माँ दुर्गा अपने नौ दिनों के नवरात्रि महोत्सव में अपने नौ रूपों के लिए जानी जाती हैं। मां भगवती केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्वभर में अपने भक्तों द्वारा पूजी जाती हैं।
इनकी आराधना के लिये नौ दिन की अवधि शुक्ल पक्ष के दिन से नौवें दिन अश्विन तक सबसे शुभ समय माना जाता है। इन दिनों में माता की आराधना के नौ रूपों में नौ दिन तक लगातार की जाती है। आईये, विस्तार से जानते हैं माता के स्वरूप के बारे में-
Nine Forms of Durga: देवी दुर्गा के नौ स्वरूप
१.प्रथम शैलपुत्री
नव दुर्गा में प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री का है । ये पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं अपने पिछले जन्म में यही राजा दक्ष की पुत्री थीं। एक बार दक्ष ने भगवान शिव को आमंत्रित किए बिना एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया था जब देवी सती को यह ज्ञात हुआ तो वे वहां पहुँच गयीं और तर्क करने लगीं।
उनके पिता ने उनके पति (भगवान शिव) का अपमान जारी रखा था , सती अपने पती का अपमान सहन नहीं कर पाईं और स्वयं को यज्ञ की आग में भस्म कर लिय। दूसरे जन्म में वह हिमालय की बेटी पार्वती- हेमावती के रूप में जन्म लेती हैं और तपस्या के बल से भगवान शिव से प्रसन्न करके पुन: विवाह करती हैं।
आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
प्रतिपदा को धारण करें ये वस्त्र
ऐसा माना जाता है कि माँ शैलपुत्री का पसंदीदा रंग पीला है तो आप भी पीले रंग के वस्त्र धारण कर माँ शैलपुत्री की पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
२. द्वितीय ब्र्ह्मचारिणी
Nine Forms of Durga
नवरात्र के दूसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्माचारिणी रूप की पूजा की जाती है। ” ब्रह्मा ” शब्द उनके लिए लिया जाता है जो कठोर भक्ति करते हैं तथा संयमित जीवन यापन कर अपना मष्तिस्क और ह्र्दय को संतुलन में रखकर भगवान को प्रसन्न करते हैं । यहाँ ब्रह्मा का अर्थ है “तप” । माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति बहुत ही सुन्दर है। उनके दाहिने हाथ में गुलाब और बाएं हाथ में पवित्र जल के बर्तन ( कमंडल ) हैं।
देवी ने तपस्या क्यों की उस पर एक कहानी है। पार्वती हिमवान की बेटी थी। एक दिन नारद मुनि उनके पास आये और भविष्यवाणी की “तुम्हारा विवाह भोलेनाथ से होगा और उन्होंने उसे सती की कहानी भी सुनाई। नारद मुनि ने उनसे यह भी कहा उन्हें भोलेनाथ के लिए कठोर तपस्या भी करनी पडेगी।
इसीलिए माँ पार्वती ने अपनी माँ मेनका से कहा की वह शम्भू (भोलेनाथ ) से ही विवाह करेगीं नहीं तो वह अविवाहित रहेगीं। यह बोलकर वह जंगल में तपस्या करने के लिए चली गयीं और कठोर तपस्या की इसीलिए उन्हें तपचारिणी ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।
आराधना मन्त्र
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’
नवरात्रि की द्वितीया को पहनें हरे रंग के वस्त्र
ऐसा माना जाता है कि माँ ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा रंग हरा है तो आप हरे रंग के वस्त्र में माँ की पूजा कर माँ ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न कर सकते हैं।
३. तृतीय चंद्रघंटा
Nine Forms of Durga
तीसरी शक्ति का नाम है चंद्रघंटा जिनके मस्तक पर आधा चन्द्र (चाँद ) और बजती घंटी है। वह शेर पर बैठी संघर्ष के लिए तैयार रहती हैं। उनके माथे में एक आधा परिपत्र चाँद ( चंद्र ) है। वह आकर्षक और चमकदार है । वह तीन आँखों और दस हाथों में दस हथियार पकडे रहती हैं और उनका रंग स्वर्ण की भांति है। वह साहस की अभूतपूर्व छवि हैं उनके घंटे की भयानक ध्वनि सभी राक्षसों और प्रतिद्वंद्वियों को भयभीत कर देती है ।
आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:
तृतीया को पहनें भूरे रंग के वस्त्र
ऐसा माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा को भूरा रंग बहुत भाता है तो आप भूरे रंग के वस्त्र धारण कर उनकी पूजा कर सकते हैं।
४. चतुर्थ कूष्मांडा
माँ के चौथे रूप का नाम है कुष्मांडा। ” कु” मतलब थोड़ा “शं ” मतलब गरम “अंडा ” यहाँ अंडा का मतलब है ब्रह्मांडीय अंडा । वह ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में जानी जाती हैं जो उनके प्रकाश के फैलने से निर्मित होता है। वह सूर्य की तरह सभी दस दिशाओं में चमकती रहती हैं। उनके आठ हाथ हैं ,सात प्रकार के हथियार उनके हाथ में चमकते रहते हैं। यह दाहिने हाथ में माला धारण करती हैं तथा शेर की सवारी करती हैं।
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आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नम:
चतुर्थी को पहनें नारंगी रंग के कपड़े
माँ कूष्मांडा को नारंगी रंग बहुत भाता है तो आप नारंगी रंग के वस्त्र धारण कर उनकी आराधना कर सकते हैं।
५. पंचम स्कंदमाता
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देवी दुर्गा का पांचवा रूप है स्कंद माता । स्कंदकुमार की माता होने के कारण इनका यह नाम पड़ा है स्कन्दकुमार इनकी गोद में विराजमान हैं तथा देवताओं की सेना के सेनापति हैं। स्कंदमाता आग की देवी हैं उनकी तीन आँखें और चार हाथ है। वह स्वेत वर्णा हैं तथा कमल पैर विराजमान रहती हैं और उनके दोनों हाथों में कमल रहता है।
आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:
पंचमी को पहनें सफेद रंग के कपड़े ।
ऐसा माना जाता है कि माँ स्कंदमाता को सफेद रंग बहुत भाता है तो आप सफेद रंग के वस्त्र धारण कर उनकी पूजा कर सकते हैं।
६. षष्ठम कात्यायनी
माँ दुर्गा का छठा रूप है कात्यायनी। नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था, वैसे तो विवाहित महिला के नाम के आगे पति का गोत्र लगाने की परंपरा है किन्तु यहां देवी ने अपने पिता का ही गोत्र धारण कर लिया और सदा के लिये कात्यायनी हो गईं।
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आराधना मन्त्र
ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:
षष्ठी को पहनें लाल रंग के कपड़े ।
ऐसा माना जाता है कि माँ कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है तो आप लाल रंग के वस्त्र धारण कर उनकी पूजा कर सकते हैं।
७. सप्तम कालरात्रि
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माँ दुर्गा का सातवाँ रूप है कालरात्रि। वह काली रात की तरह है, उनके बाल बिखरे हैं तथा चमकीले भूषण पहनती हैं। उनकी तीन उज्ज्वल ऑंखें हैं ,जब वह सांस लेती हैं तो हजारों आग की लपटें निकलती हैं । वह शव (मृत शरीर )पर बैठती हैं , उनके दाहिने हाथ में तेज तलवार है उनका निचला हाथ आशीर्वाद के लिए है। जलती हुई मशाल उनके बाएं हाथ में है और उनके निचले बाएं हाथ वह अपने भक्तों को निडर बनाती है। उन्हें “शुभकुमारी” भी कहा जाता है जिसका अर्थ है जो हमेश अच्छा करती हैं।
यह माँ का अति भयावह व उग्र रूप है। सम्पूर्ण सृष्टि में इस रूप से अधिक भयावह और कोई दूसरा नहीं, किन्तु तब भी यह रूप मातृत्व को समर्पित है। देवी माँ का यह रूप ज्ञान और वैराग्य प्रदान करता है।
आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:
सप्तमी को पहनें नीले रंग के कपड़े
ऐसा माना जाता है कि माँ कालरात्रि को नीला रंग बहुत पसंद है तो आप नीले रंग के वस्त्र धारण कर उनकी पूजा कर सकते हैं।
८. अष्टम महागौरी
आठवीं दुर्गा ” महा गौरी है।” वह एक शंख , चंद्रमा और जैस्मीन के रूप सी सफेद हैं, वह आठ साल की हैं, उनके गहने और वस्त्र सफेद और धवल होते हैंं। उनकी तीन आँखें है ,उनकी सवारी बैल है ,उनके चार हाथ हैं। उनके निचले बायें हाथ की मुद्रा निडर है ,ऊपर के बाएं हाथ में ” त्रिशूल ” है और निचला दाहिना हाथ आशीर्वाद शैली में है।
वह शांत और शांतिपूर्ण हैं और शांतिपूर्ण शैली में मौजूद हैं। यह कहा जाता है जब काली पर भगवान शिव ने गंगाजल छिड़का तब उनका शरीर बिजली की तरह उज्ज्वल बन गया और वे महागौरी कही जाती हैं । यह भी कहा जाता है जो भी महा गौरी की पूजा करता है उसके वर्तमान ,अतीत और भविष्य के पाप धुल जाते है। कुछ साधक अष्टमी के दिन व्रत का पलायन करते हैं तथा यह जागरण, हवन की भी रात्रि है।
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आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:
अष्टमी को पहनें गुलाबी रंग के कपड़े
ऐसा माना जाता है कि माँ महागौरी को गुलाबी रंग बहुत भाता है तो आप गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कर उनकी पूजा कर सकते हैं।
९. नवम सिद्धिदात्री
Nine Forms of Durga
माँ का नौवा रूप है ” सिद्धिदात्री ” । आठ प्रकार की सिद्धि हैं, जो हैं जो इस प्रकार हैं — अणिमा, महिमा ,गरिमा ,लघिमा ,प्राप्ति ,प्राकाम्य ,लिषित्वा और वशित्व। माँ शक्ति यह सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं। उनके पास कई अदभुत शक्तियां हैं ,यह कहा जाता है “देवीपुराण” में भगवान शिव को यह सब सिद्धियां महाशक्ति की पूजा करने से मिली हैं ।
उनकी कृतज्ञता के साथ शिव का आधा शरीर देवी का बन गया था और वह ” अर्धनारीश्वर ” के नाम से प्रसिद्ध हो गए। माँ सिद्धिदात्री की सवारी शेर है ,उनके चार हाथ है और वह प्रसन्न मुद्रा हैं। दुर्गा का यह रूप सभी मनोकामनाओं की पूर्ती हेतु देवताओं, ऋषियों मुनी, सिद्ध, योगियों, संतों और श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा जाता है।
आराधना मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:
नवरात्रि की नवमी को पहनें बैंगनी रंग के कपड़े
ऐसा माना जाता है कि माँ सिद्धिदात्री का मनपसंद रंग बैंगनी है तो इस दिन बैंगनी रंग पहनना बहुत शुभ माना जाता है।
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