Baglamukhi Sadhna : कैसे करें मां बगलामुखी की साधना ?

Baglamukhi Sadhna : कैसे करें मां बगलामुखी की साधना ?

 

Baglamukhi Sadhna

 

Baglamukhi Sadhna

 

नमस्कार दोस्तों ! आज की पोस्ट में हम बात करेंगे मां बगलामुखी Baglamukhi Sadhna के बारे मेंं। मां बगलामुखी  को स्तंभन (यानी रोकना) की देवी कहा जाता है। मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। 

बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा से लिया गया है जिसका अर्थ दुल्हन होता है। बगला नाम तीन अक्षरों से निर्मित है व, ग तथा ल। इनमें व अक्षर वारुणी को, ग अक्षर सिद्धिदा को तथा ल अक्षर पृथ्वी को संबोधित करता है। मां भगवती के इस स्वरूप को उनके अलौकिक सौंदर्य तथा स्तंभित करने की शक्ति के कारण ही यह नाम दिया गया है।

मां स्वयं पीत वर्ण यानी पीले रंग की हैं साथ ही ये देवी पीले रंग के ही वस्त्र,आभूषण और माला धारण करती हैं इसलिए इनका एक नाम पीताम्बरा भी है।

 

Baglamukhi Sadhna : शत्रुओं का स्तम्भन करने वाली देवी

 

Baglamukhi Sadhna

 

शत्रुओं के स्तम्भन यानी रोकना, विनाश और वशीकरण के लिक मां बगलामुखी की उपासना रामबाण है। शत्रुओं के मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, अनिष्ट ग्रहों की शान्ति, मुकदमे में विजय तथा धन प्राप्ति आदि के लिए इनकी साधना की जाती है।
शत्रु भय से मुक्ति व वाक् सिद्धि देने के कारण इनके एक हाथ में शत्रु की जिह्वा /जीभ और दूसरे में मुद्गर है।

ये देवी वाणी, विद्या और गति को नियन्त्रित करती हैं। परमात्मा भी इनकी शक्ति से सम्पन्न होने पर ही जगत की रक्षा व पालन का कार्य करते हैं। इन्हीं की स्तम्भन शक्ति के कारण सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी और द्यौ आदि लोक अपनी मर्यादा में ठहरे हुए हैं।

Baglamukhi Sadhna : ब्रह्मास्त्र के नाम से भी हैं प्रसिद्ध

 

Baglamukhi Sadhna

जो संसार के व धर्म के नियमों का अतिक्रमण करते हैं, उनका नियंंत्रण करने और उनको अनुशासित करने में मां बगलामुखी परमात्मा की सहायिका रहती हैं। मनुष्य ही नहीं देवता भी दुःखों, अनिष्टों और शत्रुओं के नाश के लिए चिरकाल से मां बगलामुखी की साधना करते आए हैं और इनकी साधना कभी निष्फल नहीं जाती इसलिए इन्हें ब्रह्मास्त्र भी कहते हैं।

 

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Maa Baglamukhi Sadhna : मां बगलामुखी की कथा।

 

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माता की कथा का वर्णन इस प्रकार है। एक बार सतयुग में संसार को नष्ट कर देने वाला भयंकर तूफान आया। प्राणियों के जीवन पर संकट को आया देखकर जगत की रक्षा में नियुक्त महाविष्णु बहुत चिंति हुए और वे सौराष्ट्र प्रदेश में हरिद्रा सरोवर के पास जाकर भगतवी त्रिपुरसुन्दरी को प्रसन्न करने के लिए घोर तप करने लगे।

विष्णु जी की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां त्रिपुरसुन्दरी श्रीविद्या ने उस सरोवर से निकल कर पीताम्बरा के रूप में उन्हें दर्शन दिए और विध्वंसकारी जल के तूफान को स्तंभित कर दिया अर्थात रोक दिया। श्री विद्या का पीताम्बरा अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्ट्मी को हुआ था।

बाह्य शत्रुओं की अपेक्षा मनुष्य के आन्तरिक शत्रु ( काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह) उसका अधिक नुकसान करते हैं। इसलिए उनको भी मां बगलामुखी के चरणों में अर्पण कर देने से मनुष्य हर प्रकार से सदा के लिए सुखी हो जाता है।

उपासना में ध्यान रखने योग्य बातें।

 

Baglamukhi Sadhna

 

मां बगलामुखी की साधना एक योग्य गुरु के सान्निध्य में रहकर ही की जानी चाहिए। गुरु से ही बगलामुखी मन्त्र ग्रहण कर सावधानीपूर्वक और सफलता की प्राप्ति होने तक साधना करते रहना चाहिए।

मां बगलामुखी की साधना में इन्द्रिय संयम, पवित्रता व ब्रह्मचर्य का पालन करना अति आवश्यक है।

शुद्ध, एकान्त स्थान पर, घर पर, मन्दि में, पर्वत की चोटी पर, घने जंगल या प्रसिद्ध नदियों के संगम पर अपनी सुविधानुसार रात या दिन में मां बगलामुखी का अनुष्ठान किया जाता है।

माता की उपासना में सभी वस्तुएं पीली होनी चाहिए। पूजा में हल्दी की माला व पीले आसन, पीले पुष्प, गेंदा, पीले कनेर, प्रियंगु यानी मालकंगनी और पीले चावल का प्रयोग होता है।
इनके साधकों को दोपहर में दूध, चाय अथवा फलाहार लेना चाहिए तथा रात्रि में पीली खीर, बेसन के लड्डू, पूड़ी शाक आदि का भोजन करना चाहिए।

Baglamukhi Sadhna : मां बगलामुखी पूजा विधि

 

Baglamukhi Sadhna

 

माता के साधक को चाहिए कि वह स्नान आदि से पवित्र होकर पीले वस्त्र पहने, पूर्व की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठे और पूजा की सभी सामग्री अपने पास रख ले। मां को पीला वस्त्र या पीली चुनरी धारण कराए मंदिर मे पीली ध्वजा चढाएं। पीला केसर चंदन, रोली, हल्दी, चावल, अबीर गुलाल, पीले पुष्प या माला चढ़ाएं।

बेसन के लड्डू, पीले फल और पान सुपारी का भोग लगाकर धूप दीप से आरती करें। हाथ जोड़ कर मां की स्तुति चालिसा का पाठ करने से भी सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।

मां बगलामुखी की साधना का मंत्र।

Baglamukhi Sadhna

ऊं ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ऊं स्वाहा।

 

इस मंत्र का एक लाख या दस हजार जप, 21 दिन, 11 दिन, 9 दिन या फिर 7 दिन में करें। किसी शुद्ध स्थान पर एक छोटी चौकी या पट्टे पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर पीले चावल से अष्टदल कमल बनाकर उस पर मां बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। आवाहन और षोडशोपचार पूजन कर जप आरंभ करें।

पहले दिन जितनी संख्या में जप करें उतना ही प्रतिदिन करना चाहिए। बीच में ज्यादा या कम जप करने से जप खंडित हो जाता है।

पीले पदार्थों से जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से साधक के असाध्य कार्य की सिद्धि, मनोवांछित फल की प्राप्ति और शत्रुओं का स्तम्भन या नियंत्रण आदि कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

।। अथ श्री बगलामुखी चालीसा ।।

 

Baglamukhi Sadhna

 

नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।१।

नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी ।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी ।२।

अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।३।

स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।४।

भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ।
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।५।

तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।६।

सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे ।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।७।

दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता ।८।

मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी ।
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी ।९।

अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को ।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।१०।

चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे ।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे ।११।

Baglamukhi Sadhna

 

मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट ।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे ।१२।

सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे ।
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।१३।

सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी ।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक ।१४।

तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें ।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता ।१५।

यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी ।१६।

जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई ।
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो ।१७।

पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया ।१८।

जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा ।
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता ।१९।

सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।२०।

नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।२१।

रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ।२२।

।। इति श्री बगलामुखी चालीसा पाठ समाप्त ।।

तो कैसी लगी आपको यह Baglamukhi Sadhna जानकारी हमें अवश्य बतायें। आपका दिन शुभ हो।